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LIVE: Kavi Sammelan, Prayagraj, Kumbh 2019 | 26-01-2019
प्रेस विज्ञप्ति
प्रयाग कुंभ की शोभा हैं यह ब्रह्माकुमारीयां, प्रीति बांटने आई हैं यह प्रभु की सुकुमारियां… प्रयाग गौरव ‘करुणेश’
कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 5 स्थित सत्यम शिवम सुंदरम अध्यात्मिक मेला पंडाल में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया| इस अवसर पर प्रयागराज सहित उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों से ख्याति प्राप्त कवि एवं कवियित्री उपस्थित रहे| मंच का संचालन प्रयागराज के गौरव कवि करुणेश जी ने किया|
कवि सम्मेलन का शुभारंभ, त्रिवेणी संगम से कवियों को तथा देश के कोने-कोने से पधारी ब्रम्हाकुमारी बहनों को जोड़ते हुए काव्यपाठ -हम नदी थे नदी हैं रहेंगी नदी, बीत जाएगी लाखों करोड़ों सदी, काव्य की इस त्रिवेणी में नहलाएंगे, दूर कर देंगे हम आपकी त्रासदी….
से करुणेश जी ने किया| इसके साथ ही अपनी मां की कोख में पल रही एक कन्या की आवाज –
मुझे आने दो मत रोको नहीं तुमको रुलाऊंगी ,
कहीं भैया से ज्यादा प्यार मैया मैं तुम पर लूटाऊंगी …
से उपस्थित जनसमूह में करुण रस का प्रवाह कर दिया|
काव्य सरिता के इस प्रवाह को अविरल गति देते हुए, प्रोफेसर डॉक्टर इंदु प्रकाश मिश्र ‘इंदु ‘ ने
हम पूज्य बन रहे हैं प्रभु आपकी कृपा से ,हम उच्च बन रहे हैं प्रभु आपकी कृपा से …
काव्य पाठ से माउंट आबू के वातावरण तथा त्रिवेणी संगम के वातावरण का वर्णन किया |
इसी क्रम में प्रख्यात कवि श्री राजेंद्र तिवारी के सुपुत्र दिलीप तिवारी ने अपने पिता की पंक्तियां-
एक अद्भुत सी छुअन गंगा तुम्हारे रेत में ,
भक्ति का संकीर्तन गंगा तुम्हारे रेत में…
सुनाकर जनसमूह को भाव विभोर कर दिया| तुलनात्मक व्यंग के अंदाज में –
पहले का आदमी गुरु था और गिरगिट शिष्य परंतु अब गिरगिट गुरु है और आज का आदमी शिष्य, जो ऐसे रंग बदलता है जो गिरगिट भी सीखना चाहता है …से लोगों को कवियों की भावनाओं से परिचित कराया |
काव्य सरिता में सराबोर जनसमूह के मन को हास्य रस से ओतप्रोत करते हुए अगले कवि ‘चिरकुट इलाहाबादी’ ने अपने चिर परिचित अंदाज में पाकिस्तान को ललकारते हुए पाक पड़ोसी अपनइ घर जब फुकई पर तैयार हुई गवा हम कैसे दुखड़ा रोई कि हमरे नाक क बार हुई गवा, भाई समझ के हिस्सा बाटा तो सीमा पार हुई गवा, हम कैसे दुखड़ा रोई कि हमरे नाक क बार हुई गवा ….
से लोगों को हंसी में लोटपोट होने को मजबूर कर दिया|
इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर डॉ राजेंद्र त्रिपाठी ‘रसराज’ ने भारतीय नारी की महिमा करते हुए, सृष्टि हो सरस्वती हो सीता सती हो तुम…से संपूर्ण जन समूह का हृदय मातृ शक्ति के आगे नतमस्तक किया| मां गंगा एवं परम पुनीत त्रिवेणी संगम सहित दिव्य कुंभ की महिमा-
सुन के तुम्हारी महिमा धरा धाम में ,हम तो संगम नहाने चले आए हैं …
से सभी को भाव विभोर कर दिया|
‘कुंभ दर्शन’ के रचनाकार डॉक्टर पंडित राम लखन शुक्ला ने ,
विश्व बंधुत्व गर कहीं है तो यहीं है,राष्ट्र भक्ति कहीं है तो यहीं है …से गणतंत्र दिवस का समा बांधा| इसके उपरांत प्रयाग की महिमा में-
अपने प्रयाग का कोई सानी नहीं है ,गंगा का नीर है यह पानी नहीं है…से श्रोताओं को खूब झूमाया |
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने-
प्रेम जब तक प्रेम है, सत्य है साहित्य है लालित्य है ,जब नियत बदली गणित बनने लगी, किसकी कहां ज्यादादती कहां औचित्य है…
से मर्यादाओं ,चरित्रों में होने वाले क्षरण पर सभी का ध्यान खिंचवाया|
इसके अतिरिक्त कवियित्री नीलिमा जी, कवि उमाकांत पांडे आदि ने भी काव्य पाठ के द्वारा सभी के अंतर्मन को हर्षोल्लास से भरपूर किया|
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Live Samadhan By BK Surahbhai | Prayagraj, Kumbhmela 07-02-2025 at 10:30AM
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